मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे तन्हाई में बैठकर दर्द को अपनी क़लम से लिखता हूँ, पर आँखों से गिरे आँसू दर्द की आवाज़ कह जाते हैं। आह-ओ-ज़ारी ज़िंदगी है बे-क़रारी ज़िंदगी बहुत डराती हैं तुम्हारी यादें मुझे अकेले में। तन्हाई की रातों में, दिल https://youtu.be/Lug0ffByUck