मालिनी पुत्रकःपातु पशूनश्यान् गजांस्तथा ।। वायव्यां मे कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः तस्य भूतिं विलोक्यैव कुबेरोऽपि तिरस्कृतः । इसका जप कवच से पहले और बाद में ११ या २१ बार करें ॥ These texts Enjoy a particularly significant position while in the Sarma (new translation) traditions of Tibetan Buddhism, https://crossbookmark.com/story16521088/the-ultimate-guide-to-bhairav-kavach